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कविता

एक तुम्हारी याद

प्रतिभा कटियार


एक तुम्हारी याद
पूर देती है जख्म सारे
जेबों में भर देती है
खुशियों की ढेर सारी आहटें
जिंदगी के कैनवास पर रचती है
उम्मीदों की मासूम लकीरें
मायूसियों को विदा कहते हुए
मुस्कुराती है
पलकें झपकाती है, गुनगुनाती है
एक तुम्हारी याद
क्या से क्या कर देती है
बंजर सी धरती पर
बारिश बो देती है…
 


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